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द गर्ल इन रूम 105

'मैं यहां पर हूं, बताओ आपको क्या बात करती है?" मेरे अंदर आते ही सिकंदर ने कहा । "बात शुरू करने से पहले, हम खाने को कुछ मंगवा लें? मैंने कहा। मैंने सोचा कि खाने-पीने के सामान के कारण सौरभ का दिल लगा रहेगा और उसे कम डर महसूस होगा।


हमने आधा किलो मिक्स्ट पकौड़े ऑर्डर किए और साथ में तीन कप मसाला चाय भी मंगवा लीं। एक मिनट में हमारा ऑर्डर आ गया—गोभी, आलू, प्याज़, मिर्च और पालक के पकौड़े, सभी मसालेदार और डबल- फ्राइड । सब्जियां खाने का इससे टेस्टी और इससे अनहेल्दी तरीका कोई दूसरा नहीं हो सकता था।

सिकंदर ने उसे हाथ भी नहीं लगाया। सौरभ ने एक-एक कर हर वैराइटी के पकौड़े उठा लिए।

* आप कुछ खा नहीं रहे हैं। कुछ ट्राय कीजिए, सौरभ ने सिकंदर से कहा। जब वह किसी से डरा हुआ होता था तो उसकी लल्लो चप्पो करने लगता था। 'हमें तुम्हारी मदद चाहिए। हम जारा के केस को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं, ' मैंने कहा। "केस को सुलझाने की कोशिश 'केशव' कर रहा है, मैं तो बस यूं ही साथ में हूं' सौरभ ने हरी मिर्च का

पकौड़ा बनाते हुए कहा।

"मैं क्या मदद कर सकता हूँ?" सिकदर ने कहा ।

'तुम जारा के बहुत करीब थे ना?" 'आपा मेरे लिए दूसरी मां की तरह थीं।""

तो क्या तेहरीक-ए-जेहाद में से किसी ने उसे मारा है?" यह सुनते ही सिकंदर उठ खड़ा हुआ। सौरभ ने अपना चेहरा मेरे कंधे के पीछे छुपा लिया।

"मैं चलता हूं, सिकंदर ने कहा। "क्यों? हम अभी तो मिले हैं। बैठ जाओ। केवल पांच मिनट के लिए,' मैंने कहा ।

सिकंदर असमंजस में लग रहा था, इसके बावजूद वह बैठ गया। मैंने उसके सामने चाय का एक प्याला

बढ़ाया। उसने सिर हिलाकर इनकार कर दिया।

'आपको तेहरीक के बारे में किसने बताया? मैं तो समझता था आपको आपा के सिवा किसी और मामले में "मुझे सच में कोई दिलचस्पी नहीं है। जारा से तुम्हारी आखरी बात कब हुई थी ?"

दिलचस्पी नहीं है।'

"उनकी मौत से तीन दिन पहले उन्होंने मुझे फ़ोन लगाया था।' 'तुम्हारी क्या बातें हुई थी?"

'इससे आपका कोई सरोकार नहीं है। वो भाई और बहन के बीच की बात है।"

"भाई, नहीं सौतेला भाई, राइटर सौरभ ने गर्मागरम गोभी का पकौड़ा मुंह में डालते हुए कहा। सिकंदर ने

उसे घूरकर देखा।

'सौतेले भाई-बहन भी एक-दूसरे के बहुत क़रीब हो सकते हैं।' 'हां, हां, क्यों नहीं, सौरभ ने अपने चिर-परिचित लल्लो चप्पो वाले स्टाइल में कहा, 'सिकंदर भाई,

ट्राय कीजिए, ये मिर्च वाला पकौड़ा तो बहुत ही स्वादिष्ट है।"

कुछ

सिकंदर ने उसकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और मुझसे कहा, 'आपा ने इतना ही कहा था कि वे मुझसे बहुत दिनों से नहीं मिली हैं, और यह कि... कि मुझे कोई ढंग का जॉब कर लेना चाहिए।' वैसे अभी तुम कौन-सा काम करते हो? अगर तुम्हें बताने में कोई ऐतराज़ ना हो तो?" मैंने कहा। "यूं ही कुछ छोटे-मोटे काम कभी दिल्ली तो कभी श्रीनगर में।'

किस तरह के छोटे-मोटे काम?" 'लोडिंग ट्रक कश्मीरी कारोबारियों का सामान देशभर में इधर-उधर ले जाना। बस यही सब।'

"बुरा मत मानना लेकिन क्या तुम्हारा तेहरीक-ए-जेहाद से कोई ताल्लुक है?"

'मैं इस सवाल का जवाब नहीं देना चाहता। वैसे भी आपका इससे कोई सरोकार नहीं है।'

"मैं इतना ही जानना चाहता हूं कि क्या जारा भी तहरीक से जुड़ी थी। सिकंदर, कम से कम मुझे इतना ही बता

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